9वीं-10वीं में फार्मेसी, बायोटेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक्स पढ़ेंगे स्टूडेंट्स; ऑप्शन (Students will study Pharmacy, Biotechnology, Electronics in 9th-10th; Option)
Apr 16, 2024
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सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) ने क्लास 9 और 10 के सिलेबस में फार्मेसी, बायोटेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक्स- हार्डवेयर और डिजाइन एंड इनोवेशन जैसे नए इलेक्टिव सब्जेक्ट्स हैं। ये सब्जेक्ट्स स्टूडेंट्स में प्रैक्टिकल लर्निंग को बढ़ावा हैं।
The Central Board of Secondary Education (CBSE) has introduced new elective subjects like Pharmacy, Biotechnology, Electronics- Hardware and Design and Innovation in the Class 9 and 10 syllabus. These subjects promote practical learning among students.
इन सब्जेक्ट्स से नई स्किल सीखगे। लर्निंग और मैनेजमेंट से स्टूडेंट्स की आंत्रप्रेन्योरशिप स्किल में सुधारएगा। डिजाइन थिंकिंग जैसे सब्जेक्ट्स से सभी रेगुलर एकेडमिक सब्जेक्ट्स जैसे ह्यूमैनिटीज और एसटीईएम सब्जेक्ट्स में फायदा मिलेगा।
You will learn new skills from these subjects. Will improve the entrepreneurship skills of students through learning and management. Subjects like design thinking will benefit all regular academic subjects like humanities and STEM subjects.
आईटी और इंजीनियरिंग के अलावा इलेक्ट्रॉनिक्स एंड हार्डवेयर जैसे सब्जेक्ट्स का ऑप्शन को पांच कंपल्सरी सब्जेक्ट्स के बाद छठवां सब्जेक्ट चुनने के लिए पहले से ज्यादा ऑप्शन होंगे।
Apart from IT and Engineering, there will be more options than before to choose the option of subjects like Electronics and Hardware as the sixth subject after the five compulsory subjects.
पिछले 10 सालों में सीबीएसई ने टेक्नोलॉजी रिलेटेड सब्जेक्ट्स जैसे एआई, आईटी, कोडिंग, डेटा साइंस एंड लाइफ साइंस जैसे सब्जेक्ट्स हैं।
In the last 10 years, CBSE has introduced technology related subjects like AI, IT, Coding, Data Science and Life Science.
मेडिकल साइंस में करियर बनाते हैं उन्हें बायोटेक्नोलॉजी या फार्मेसी जैसे सब्जेक्ट्स से मदद है। ये सब्जेक्ट्स लाइफ साइंस सेक्टर स्किल डेवलपमेंट काउंसिल और सीबीएसई के बीच कोलैबोरेशन से डिजाइन हैं।
Those who pursue a career in medical science are helped by subjects like biotechnology or pharmacy. These subjects are designed in collaboration between Life Science Sector Skill Development Council and CBSE.
इंडस्ट्री और एजुकेशन सेक्टर के बीच का गैप कम होगा।
The gap between industry and education sector will reduce.
फार्मेसी सेक्टर में एंट्री लेवल जॉब आसान है। अगर स्टूडेंट्स क्वालिफाइड हों और सब्जेक्ट की जानकारी हो तो वो नौकरियों के लिए बेहतर होंगे।
Entry level jobs in the pharmacy sector are easy. If students are qualified and have knowledge of the subject then they will be better suited for jobs.
लाइफ साइंसेज और बायोटेक्नोलॉजी जैसे सब्जेक्ट्स को बच्चों के बीच बढ़ावा देने से 16 साल की उम्र से आंत्रप्रेन्योरशिप थिंकिंग डेवलप है।
By promoting subjects like life sciences and biotechnology among children, entrepreneurship thinking is developed from the age of 16.
प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस :-आयोग की सलाह पर स्कूलों में अटल टिंकरिंग लैब्स बनाए हैं। लैब्स में एसटीईएम यानी साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स के कॉन्सेप्ट्स तरीके से डिजाइन और इनोवेशन के जरिए समझाने के लिए कई तरह की एक्टिविटी हैं।
Practical Experience:- On the advice of the Commission, Atal Tinkering Labs have been created in schools. The labs have a variety of activities to explain the concepts of STEM i.e. Science, Technology, Engineering and Maths through design and innovation.
एटीएल लैब्स में बच्चों को प्रॉब्लम सॉल्विंग, प्रोडक्ट डिजाइनिंग, रोबोटिक्स जैसे सब्जेक्ट्स को बेहतर ढंग से समझने के लिए DIY (डू इट योरसेल्फ) किट्स हैं। देशभर में 10,000 सरकारी स्कूलों में ये लैब्स काम हैं।
ATL Labs has DIY (Do It Yourself) kits for children to better understand subjects like problem solving, product designing, robotics. These labs are working in 10,000 government schools across the country.
सिलेबस में इलेक्टिव सब्जेक्ट्स में डिजाइन एंड इनोवेशन जैसे सब्जेक्ट्स के होने से बच्चों एटीएल लैब्स की एक्टिविटी में भी फायदा मिलेगा।
With subjects like Design and Innovation among the elective subjects in the syllabus, children will also benefit from the activities of ATL Labs.
इलेक्टिव सब्जेक्ट्स का सिलेबस : इलेक्ट्रॉनिक्स एंड हार्डवेयर जैसे इलेक्टिव सब्जेक्ट्स का सिलेबस तय होगा। हैंड्स ऑन लर्निंग एक्सपीरिएंस पहले की तुलना में बेहतर होगा। एक जैसा सिलेबस होने से सभी स्कूलों में समग्र शिक्षा अभियान को बढ़ावा मिलेगा।
Syllabus of elective subjects: Syllabus of elective subjects like Electronics and Hardware will be decided. The hands-on learning experience will be better than before. Having a common syllabus will promote holistic education in all schools.
दरअसल, डिपार्टमेंट ऑफ स्कूल एजुकेशन एंड लिटरेसी के अभियान का मकसद है सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में स्टैंडर्ड एजुकेशन को बढ़ावा देना और जेंडर गैप, कम उम्र में बीच में पढ़ाई छोड़ देने (ड्रॉप-आउट रेट) को कम करना।
In fact, the objective of the campaign of the Department of School Education and Literacy is to promote standard education in government and private schools and reduce the gender gap and early drop-out rate.
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