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क्लास 12 हिस्ट्री एनसीईआरटी में बदलाव; रिजेक्ट की गई अप्रवासन थ्योरी (Changes in Class 12 History NCERT; Rejected immigration theory)

क्लास 12 हिस्ट्री एनसीईआरटी में बदलाव; रिजेक्ट की गई अप्रवासन थ्योरी (Changes in Class 12 History NCERT; Rejected immigration theory)

क्लास 12 हिस्ट्री एनसीईआरटी में बदलाव; रिजेक्ट की गई अप्रवासन थ्योरी (Changes in Class 12 History NCERT; Rejected immigration theory)

नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) ने क्लास 12 की हिस्ट्री की किताब के कंटेंट में बदलाव है। सिंधु घाटी सभ्यता के उदय और अंत से चैप्टर्स के फैक्ट्स अपडेट  हैं। एनसीईआरटी मुताबिक लेटेस्ट रिसर्च और स्टडीज के मुताबिक बदलाव किए हैं। क्लास 12 की थीम्स इन इंडिया हिस्ट्री - पार्ट 1 के चैप्टर 1 - ईंटें, मोती और हड्डियां (ब्रिक्स, बीड्स एंड बोन्स) में अपडेशन है।  हाल में पुरातात्विक साइट्स पर मिले डीएनए और अवशेष आधार पर बदलाव हैं। नई खोज के बाद किताबों में सुधारना जरूरी है।
The National Council for Education Research and Training (NCERT) has changed the content of the Class 12 History book. The chapters' facts are updated from the rise and fall of the Indus Valley Civilization. According to NCERT, changes have been made as per the latest research and studies. There is an update in Chapter 1 - Bricks, Beads and Bones of Class 12 Themes in India History - Part 1. There are variations based on DNA and remains found at recent archaeological sites. After new discoveries, it is necessary to improve the books.

बदलाव:-हरियाणा की राखीगढ़ी साइट में हाल ही में हुई डीएनए स्टडीज और रिसर्च के बाद ये माना है कि आर्य अप्रवास का सिद्धांत सही नहीं है, राखीगढ़ी साइट से मिले एविडेंस से कहा है कि सिंधु घाटी सभ्यता में रहने वाले आर्य थे और आर्य अप्रवास की थ्योरी गलत है, हड़प्पा सभ्यता और वैदिक लोग अलग-अलग थे या नहीं इस बात पर और रिसर्च की जरूरत है, हड़प्पा सभ्यता के लोकतांत्रिक के सबूत हैं, हरियाणा के राखीगढ़ी में मिले डीएनए अवशेष के बाद हड़प्पा सभ्यता के लगातार 5000 सालों तक जीवित के सबूत हैं, शुरुआती हड़प्पा सभ्यता और लेट हड़प्पा सभ्यता के बीच कुछ साइट्स पर आग लगने और कुछ सेटलमेंट को छोड़ने से ऐसा है कि हड़प्पा सभ्यता कॉन्टिन्यूस नहीं थी।
Change:- After the recent DNA studies and research done in Rakhigarhi site of Haryana, it has been accepted that the theory of Aryan migration is not correct, evidence obtained from Rakhigarhi site has said that there were Aryans living in the Indus Valley Civilization and Aryan migration. The theory is wrong, further research is needed on whether the Harappan civilization and the Vedic people were separate or not, there is evidence of the Harappan civilization being democratic,Following the DNA remains found in Rakhigarhi, Haryana, there is evidence of continuous existence of Harappan civilization for 5000 years. Fires at some sites and abandonment of some settlements between Early Harappan civilization and Late Harappan civilization suggest that Harappan civilization was not continuous.

एनसीईआरटी ने तीन नए पैराग्राफ:-आर्य अप्रवासन की थ्योरी को रिजेक्ट हुए तीन नए पैराग्राफ एड किए हैं। हड़प्पावासियों की आनुवंशिक जड़ें 10,000 ईसा पूर्व तक हैं।दक्षिण एशियाई आबादी का अधिकांश हिस्सा का वंशज प्रतीत है। हड़प्पावासियों के दूर-दराज के क्षेत्रों के साथ व्यापार और सांस्कृतिक संपर्कों के कारण कम मात्रा में जीनों का मिश्रण है।
NCERT has added three new paragraphs:- Three new paragraphs rejecting the theory of Aryan migration. The genetic roots of the Harappans date back to 10,000 BC. They appear to be descendants of the majority of the South Asian population. There is a small amount of mixing of genes due to the Harappans' trade and cultural contacts with far-flung areas.

आनुवंशिक इतिहास के साथ-साथ सांस्कृतिक इतिहास में बिना रुकावट के निरंतरता तथाकथित आर्यों के बड़े पैमाने पर आप्रवासन को खारिज है। सीमावर्ती इलाकों और दूरदराज के इलाकों से भारतीय समाज में समाहित थे। भारतीयों के आनुवंशिक इतिहास को या तो बंद नहीं किया या तोड़ा गया। जैसे हड़प्पावासियों ने ईरान और मध्य एशिया की ओर बढ़ना शुरू किया, उनके जीन धीरे-धीरे उन क्षेत्रों में फैल गए।
The uninterrupted continuity of genetic history as well as cultural history refutes the large-scale immigration of the so-called Aryans. People from the border areas and remote areas were assimilated into the Indian society. The genetic history of Indians was either not sealed or broken. As the Harappans began to move toward Iran and Central Asia, their genes gradually spread into those areas.

हड़प्पा और वैदिक के बीच संबंधों पर अधिक शोध की आवश्यकता है क्योंकि कुछ विद्वानों ने तर्क है कि हड़प्पा सभ्यता और वैदिक लोगों के लेखक एक थे। प्राचीन भारतीय इतिहास, विशेष रूप से हड़प्पा सभ्यता की उत्पत्ति, वैचारिक दृष्टिकोण से गहराई से विभाजित एक विषय है। पूर्व-मार्क्सवादी भारतीय इतिहासकारों ​​है कि भारतीय सभ्यता का स्रोत स्वदेशी लोगों में निहित है जो खुद को आर्य कहते थे और वैदिक के समान थे। मार्क्सवादी इतिहासकार आर्य प्रवासन सिद्धांत का समर्थन हुए तर्क हैं कि हड़प्पावासी पूर्व-वैदिक थे।
More research is needed on the relationship between the Harappan and Vedic people as some scholars argue that the authors of the Harappan civilization and the Vedic people were one and the same. Ancient Indian history, especially the origins of the Harappan civilization, is a subject deeply divided from ideological viewpoints. Pre-Marxist Indian historians held that the source of Indian civilization lay in the indigenous people who called themselves Aryans and were akin to the Vedics.Marxist historians support the Aryan migration theory by arguing that the Harappans were pre-Vedic.

किताबें :-एनसीईआरटी ने किताबों में बदलाव किए की जानकारी सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) दी है। भारत में स्कूलों के लिए किताबें तैयार और सरकार को स्कूली शिक्षा में सलाह देना एनसीईआरटी की जिम्मेदारी है। देश में करीब 4 करोड़ से ज्यादा स्टूडेंट्स एनसीईआरटी किताबों से पढ़ते हैं।
Books:- Central Board of Secondary Education (CBSE) has given information about changes made in the books by NCERT. It is the responsibility of NCERT to prepare books for schools in India and advise the government on school education. More than 4 crore students in the country study from NCERT books.

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