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चोरी पर इंश्योरेंस कंपनी देगी नई कार कीमत, बस होगा ये काम (The insurance company will pay the price of the new car in case of theft, this will just work)

चोरी पर इंश्योरेंस कंपनी देगी नई कार कीमत, बस होगा ये काम (The insurance company will pay the price of the new car in case of theft, this will just work)

चोरी पर इंश्योरेंस कंपनी देगी नई कार कीमत, बस होगा ये काम (The insurance company will pay the price of the new car in case of theft, this will just work)

कार इंश्योरेंस लेते समय शायद "रिटर्न टू इनवॉइस" (आरटीआई) नाम सुना हो. शायद बहुत से इसे ना जानते हों जबकि यह काम की चीज है और फायदेमंद साबित है. रिटर्न टू इनवॉइस पर अगर कार चोरी हो जाए तो इंश्योरेंस कंपनी आईडीवी नहीं बल्कि कार की पूरी कीमत (जितने की आपने ली थी) देती है. आप कॉम्प्रिहेंसिव इंश्योरेंस लेते समय "रिटर्न टू इनवॉइस" लेता है. हालांकि, इससे इंश्योरेंस प्रीमियम बढ़ता है. स्टैंडर्ड प्रीमियम से करीब 10% ज्यादा हो सकता है.
You may have heard something called "Return to Invoice" (RTI) while purchasing car insurance. Perhaps many do not know this even though it is a useful thing and has proven beneficial. On return to invoice, if the car is stolen, the insurance company does not pay the IDV but the full value of the car (as much as you took it). “Return to Invoice” is taken when you take comprehensive insurance. However, this increases the insurance premium. It may be about 10% more than the standard premium.

रिटर्न टू इनवॉयस :-रिटर्न टू इनवॉयस (आरटीआई), कार इंश्योरेंस का एक ऐड-ऑन कवर है, जो टोटल लॉस या चोरी की स्थिति में कार की पूरे खरीद मूल्य (इनवॉयस वैल्यू) का दावा का अधिकार है. यह कॉम्प्रिहेंसिव इंश्योरेंस के साथ जाता है और कार को वैल्यू डेप्रिसिएशन से बचाता है.  
Return to Invoice:-Return to Invoice (RTI) is an add-on cover of car insurance, which entitles you to claim the entire purchase price (invoice value) of the car in case of total loss or theft. It comes with comprehensive insurance and protects the car from value depreciation.

यानी, कार खरीदी थी, उस समय जो कार की कीमत (इनवॉयस वैल्यू) थी, वह कीमत क्लेम कर सकते हैं. यह क्लेम तब किया है, जब कार चोरी हो जाए या इतनी हैमेज हो कि उसे ठीक ना किया जा सके. 
That is, the price of the car (invoice value) at the time the car was purchased can be claimed. This claim is made when the car is stolen or is so damaged that it cannot be repaired.

मान लीजिए कार चोरी हो गई और पुलिस उसे ढूंढ नहीं पाती है. ऐसी में परेशानी में पड़ सकते हैं. कार खरीदने में जो पैसा लगाया था, उसका बड़ा हिस्सा स्टैंडर्ड इंश्योरेंस के क्लेम में वापस नहीं मिल पाएगा.
Suppose the car is stolen and the police is unable to find it. In such a situation you may get into trouble. A large part of the money invested in buying a car will not be recovered through standard insurance claims.

इसी तरह, दुर्घटना में कार इतनी खराब हो जाए कि उसे ठीक करवाना नामुमकिन हो जाए, तो इंश्योरेंस कंपनी से क्लेम ले सकते हैं. लेकिन, दोनों में स्टैंडर्ड इंश्योरेंस में कार की आईडीवी वैल्यू है, जो डेप्रिसिएशन के बाद निकलती है.
Similarly, if the car gets so damaged in an accident that it becomes impossible to get it repaired, then you can take a claim from the insurance company. But, in both the standard insurance, the IDV value of the car is calculated after depreciation.

यहीं पर आरटीआई काम आता है. अगर आरटीआई कवर लिया है, तो टोटल लॉस या चोरी की स्थिति में वो पैसा मिलेगा, जितना कार खरीदते समय खर्च किया था. आरटीआई डेप्रिसिएशन से होने वाले घाटे से बचाता है.
This is where RTI comes in handy. If RTI cover is taken, then in case of total loss or theft, you will get the amount you spent while purchasing the car. RTI protects from losses due to depreciation.

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