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बच्चे कॉन्फिडेंट बनते हैं जब पेरेंट्स खुद नहीं करते ऐसी चीजें (Children become confident when parents do not do such things themselves.)

बच्चे कॉन्फिडेंट बनते हैं जब पेरेंट्स खुद नहीं करते ऐसी चीजें (Children become confident when parents do not do such things themselves.)

बच्चे कॉन्फिडेंट बनते हैं जब पेरेंट्स खुद नहीं करते ऐसी चीजें (Children become confident when parents do not do such things themselves.)

एक अच्छी पेरेंटिंग वही है जहां पेरेंट्स बच्चों को उनकी कमियों के लिए डांटने की जगह अच्छे गुण सिखाने की कोशिश करते हैं. परवरिश माता-पिता के अनगिनत निर्णयों और कार्यों से भरी एक यात्रा है जो बच्चों के आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को आकार है. पेरेंट्स यह चाहते हैं कि बच्चा कॉन्फिडेंट और निडर रहे लेकिन बच्चा शर्मिला है तो गुण कैस डालना है ज्यादातर को पता नहीं होता है. ऐसे में जिसे कॉन्फिडेंट बच्चों के पेरेंट्स से बचते हैं, यह मददगार साबित हो सकता है.
A good parenting is one where parents try to teach good qualities to their children instead of scolding them for their shortcomings. Parenting is a journey filled with countless decisions and actions of parents that shape children's confidence and self-esteem. Parents want their child to be confident and fearless, but if the child is shy then most of them do not know how to inculcate these qualities. In such a situation, it can prove helpful for those who avoid the parents of confident children.

डांटना :-बच्चा अगर गलती करे तो उसे डांटना जरूरी है. इससे बता होगा कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं. लेकिन सबके सामने डांटना गलत प्रैक्टिस होती है इससे बच्चे का आत्मबल कमजोर होता है.
Scolding: If a child commits a mistake, it is necessary to scold him. This will tell him what he should do and what not. But scolding in front of everyone is a wrong practice, it weakens the self-confidence of the child.

दूसरों से कंप्येर :-हर बच्चा अलग और स्पेशल है. ज्यादातर पेरेंट्स इस बात को समझ नहीं पाते दूसरे बच्चों से अपने बच्चे की तुलना करते हैं. उन्हें ऐसा लगता है कि वह बच्चे को बेहतर के लिए मोटिवेट कर रहे हैं, पर वास्तव में बच्चे का इससे कॉन्फिडेंस लो होता है.
Comparison with others:- Every child is different and special. Most parents do not understand this and compare their child with other children. They feel as if they are motivating the child for the better, but in reality this reduces the child's confidence.

बात को तवज्जों :-ज्यादातर पेरेंट्स आमतौर पर बच्चे की बातों को सुनने से ज्यादा सुनाने में लगते हैं. ऐसे बच्चा दबाव महूसस करता है, और धीरे-धीरे बातों को खुलकर कहना कॉन्फिडेंस खत्म होता है. जरूरी है कि बच्चे की बात को तवज्जों दें उन्हें ध्यान से सुनें.
Pay attention to talking:-Most parents usually spend more time narrating than listening to their child. Such a child feels pressured, and gradually he loses confidence in saying things openly. It is important to pay attention to what the child says and listen to them carefully.

राय :-भले ही अनुभव में पेरेंट्स से कम होते हैं, लेकिन चीजों को लेकर एक राय हो सकती है. ऐसे में बच्चा किसी बात पर राय रखना है तो उसे चुप ना कराएं बल्कि खुद को एक्सप्रेस की आजादी दें. इससे कॉन्फिडेंस बढ़ेगा. बच्चे की बातों से आपको चीजों को समझने का एक नया नजरिया मिल जाए.
Opinion: Even though they have less experience than their parents, they can have an opinion about things. In such a situation, if the child has an opinion on something, then do not silence him but give him the freedom to express it. This will increase confidence. Your child's words may give you a new perspective to understand things.

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