कार रनिंग-इन पीरियड, इंजन पर ना डालें जोर (Car running-in period, do not put pressure on the engine)
Feb 22, 2024
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अक्सर नए व्हीकल को कुछ समय तक स्पीड या ज्यादा अग्रेसिव होकर नहीं चलना चाहिए. यही समय रनिंग-इन पीरियड होता है. कार का रन-इन पीरियड शुरुआती समय है, जब कार नई-नई होती है और उसे लाते हैं. दरअसल, शुरू में नई कार के इंजन और बाकी मैकेनिकल पार्ट्स को धीरे-धीरे ढलने और अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने का समय है. आमतौर पर पहले 1,000-2,000 किलोमीटर के बीच है लेकिन यह कार के मॉडल और कंपनी के निर्देशों के अनुसार अलग-अलग है.
Often a new vehicle should not be driven at high speed or aggressively for some time. This time is the running-in period. The run-in period of a car is the initial period when the car is new and is brought in. In fact, initially there is time for the engine and other mechanical parts of the new car to gradually adapt and reach their full potential. Usually between the first 1,000-2,000 kilometers but this varies depending on the car model and company specifications.
रनिंग-इन पीरियड के दौरान कार के इंजन पर ज्यादा जोर नहीं डालना चाहिए. इस अग्रेसिव ड्राइविंग से बचें और हार्ड थ्रोटल ना दें. साथ ही, ओवरस्पीडिंग और ओवरलडिंग से भी बचें, जो स्थिति में बचना चाहिए. कार के इंजन और बाकी मैकेनिकल पार्ट्स सही से सैटल का समय मिलेगा.
One should not put too much pressure on the car engine during the running-in period. Avoid this aggressive driving and do not give hard throttle. Also, avoid overspending and overloading, which should be avoided in the situation. You will get time to settle the engine and other mechanical parts of the car properly.
सावधानी (Caution)
-- हाई स्पीड चलाने से बचें., अचानक एक्सीलरेशन या ब्रेक से बचें, इंजन पर ज़ोर न दें, कार में वजन ना रखें, बार-बार गियर बदलने से बचें,आरपीएम पर गाड़ी चलाने से बचें.
Avoid driving at high speed, avoid sudden acceleration or braking, do not stress the engine, do not carry weight in the car, avoid changing gears frequently, avoid driving at high RPM.
रनिंग-इन पीरियड के दौरान इन सावधानियों का पालन से इंजन और अन्य मैकेनिकल पार्ट्स को लंबे समय तक चलने में मदद है, कार का परफॉर्मेंस बेहतर रहेगा, फ्यूल एफिशिएंसी बेहतर मिलेगी और साथ ही सेफ्टी रहेगी.
Following these precautions during the running-in period will help the engine and other mechanical parts to last longer, the performance of the car will be better, fuel efficiency will be better and at the same time safety will be maintained.
रनिंग-इन पीरियड के बाद सामान्य तौर पर कार चला सकते हैं. बस कार मेंटेनेंस का ध्यान रखना है. मेंटेनेंस अच्छा रखेंगे तो कार लंबे समय तक बढ़िया रहेगी. कार मैनुअल में दिए सर्विस टाइम इंटरवल पर सर्विसिंग कराएं.
After the running-in period the car can be driven normally. Just have to take care of car maintenance. If you maintain good maintenance, the car will remain good for a long time. Therefore, get the servicing done at the service time interval given in the car manual.
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