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मेडिकल इंश्योरेंस पर अपडेट, क्‍लेम के ल‍िए 24 घंटे अस्पताल में भर्ती जरूरी नहीं (Update on medical insurance, 24 hours hospitalization is not necessary for claim)

मेडिकल इंश्योरेंस पर अपडेट, क्‍लेम के ल‍िए 24 घंटे अस्पताल में भर्ती जरूरी नहीं (Update on medical insurance, 24 hours hospitalization is not necessary for claim)

मेडिकल इंश्योरेंस पर अपडेट, क्‍लेम के ल‍िए 24 घंटे अस्पताल में भर्ती जरूरी नहीं (Update on medical insurance, 24 hours hospitalization is not necessary for claim)

अगर अपना और पर‍िवार का मेड‍िकल इंश्‍योरेंस है तो यह खबर काम की है. मेड‍िकल इंश्‍योरेंस में अक्‍सर यही सुना होगा क‍ि क्‍लेम लेने के ल‍िए मरीज का कम से कम अस्‍पताल में 24 घंटे के ल‍िए एडम‍िट होना जरूरी है.  यद‍ि आप अस्‍पताल में एडम‍िट रहे तो मेड‍िकल इंश्‍योरेंस करने वाली कंपनी क्‍लेम को र‍िजेक्‍ट के ल‍िए स्‍वतंत्र है. फोरम के एक आदेश में कहा गया क‍ि मेड‍िकल इंश्‍योरेंस कराने वाला व्‍यक्‍त‍ि 24 घंटे से भी कम में क्‍लेम लेने का हकदार है. जानते हैं अदालत ने आदेश में क्‍या कहा-
If you and your family have medical insurance, then this news is useful. It is often heard in medical insurance that in order to claim the patient must be admitted to the hospital for at least 24 hours. If you remain admitted in the hospital, then the medical insurance company is free to reject the claim. In an order of the forum, it was said that the person getting the medical insurance is entitled to take the claim in less than 24 hours. Know what the court said in the order-

वडोदरा कंज्‍यूमर फोरम से मेडिकल इंश्योरेंस से जुड़े एक मामले में ऐसा ही फैसला सुनाया है. मेडिकल इंश्योरेंस का क्लेम लेने के ल‍िए यह जरूरी नहीं कि व्यक्ति को अस्पताल में 24 घंटे के लिए भर्ती हो. आजकल आधुन‍िक मशीनों द्वारा इलाज तेजी से है और डॉक्‍टर भी मरीज को ड‍िस्‍चार्ज करते हैं. कई बार 24 घंटे से भी कम में मरीज को अस्‍पताल की जरूरत नहीं होती.
A similar decision has been given by the Vadodara Consumer Forum in a case related to medical insurance. To claim medical insurance, it is not necessary that the person should be admitted to the hospital for 24 hours. Nowadays treatment is fast with modern machines and doctors also discharge the patient. Sometimes the patient does not need hospital in less than 24 hours.

कंज्‍यूमर फोरम से मेडिकल इंश्योरेंस कंपनी को मरीज को भुगतान करने का आदेश है. वडोदरा के रमेशचंद्र जोशी ने 2017 में कंज्‍यूमर फोरम में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी. जोशी का कहना था क‍ि उनकी उनकी पत्‍नी को 2016 में डर्मेटोमायोसाइटिस की समस्‍या हुई. इस दौरान इलाज के ल‍िए उन्हें अहमदाबाद के लाइफकेयर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटर में भर्ती कराया.
There is an order from the consumer forum to the medical insurance company to pay the patient. In 2017, Rameshchandra Joshi of Vadodara had filed a complaint against the National Insurance Company in the Consumer Forum. Joshi said that his wife had a problem of dermatomyositis in 2016. During this, he was admitted to Lifecare Institute of Medical Science and Research Center in Ahmedabad for treatment.

डॉक्‍टरों ने इलाज के बाद अगले ही दिन जोशी की पत्‍नी को डिस्चार्ज कर दिया. जोशी ने इंश्‍योरेंस कंपनी से 44468 रुपये का भुगतान मांगा. लेकिन इंश्योरेंस कंपनी से जोशी को भुगतान से मना कर द‍िया. कंपनी ने क्लॉज 3.15 का हवाला देते हुए भुगतान से इनकार कर द‍िया. इसके खिलाफ जोशी ने उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई थी. इंश्‍यारेंस कंपनी ने तर्क द‍िया क‍ि मरीज को लगातार 24 घंटे तक भर्ती नहीं करने के कारण क्‍लेम सेटल नहीं क‍िया गया.
Doctors discharged Joshi's wife the very next day after treatment. Joshi demanded payment of Rs 44468 from the insurance company. But the insurance company refused to pay Joshi. The company refused the payment citing clause 3.15. Joshi had filed a complaint against this in the consumer forum. The insurance company argued that the claim was not settled because the patient was not admitted for 24 consecutive hours.

जोशी ने उपभोक्ता फोरम के सामने अपने सभी दस्‍तावेज रखकर पैसे द‍िलाने की गुहार लगाई. दावा क‍क‍ि पत्‍नी को 24 नवंबर 2016 की शाम 5.38 पर भर्ती किया गया. इसके अगले द‍िन 25 नवंबर 2016 को शाम 6.30 बजे उनको ड‍िस्‍चार्ज कर द‍िया गया.  यह मान लिया जाए कि मरीज को 24 घंटे से कम समय के लिए अस्पताल में भर्ती कराया था. फिर भी वह मेडिकल इंश्योरेंस का क्‍लेम का हकदार है. नए-नए तरीके और दवाएं विकसित हुई हैं, ऐसे में डॉक्टर उसी के अनुसार इलाज करते हैं.
Joshi placed all his documents in front of the consumer forum and requested to get the money. Claims that the wife was admitted on 24 November 2016 at 5.38 pm. The next day, on 25 November 2016, he was discharged at 6.30 pm. Let it be assumed that the patient was admitted to the hospital for less than 24 hours. Still he is entitled to claim for medical insurance. New methods and medicines have been developed, so doctors treat accordingly.

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