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जीवन शैली के प्रकार {शहर बनाम गांव} (Types of Life Style {City vs. Village}) -Story/Poem

जीवन शैली के प्रकार {शहर बनाम गांव} (Types of Life Style {City vs. Village}) -Story/Poem

जीवन शैली के प्रकार {शहर बनाम गांव} (Types of Life Style {City vs. Village}) -Story/Poem
किसी दिन सुबह उठकर एक बार जायज़ा लीजियेगा कि कितने घरों में अगली पीढ़ी के बच्चे रह रहे हैं? कितने बाहर निकलकर नोएडा, गुड़गांव, पूना, बेंगलुरु, चंडीगढ़,बॉम्बे, कलकत्ता, मद्रास, हैदराबाद, बड़ौदा जैसे बड़े शहरों में  बस गये हैं? 
Will wake up someday in the morning and take stock of how many homes the next generation children are living in? How many have moved out and settled in big cities like Noida, Gurgaon, Poona, Bangalore, Chandigarh, Bombay, Calcutta, Madras, Hyderabad, Baroda?

 कल एक बार उन गली मोहल्लों से पैदल निकलिएगा जहां से बचपन में स्कूल जाते समय या दोस्तों के संग मस्ती करते हुए निकलते थे।
Tomorrow once, we will walk through those streets, from where in childhood, while going to school or having fun with friends, we would go out.

 तिरछी नज़रों से झांकिए.. हर घर की ओर एक चुपचाप सी सुनसानियत मिलेगी, न कोई आवाज़, न बच्चों का शोर, बस किसी घर के बाहर या खिड़की में आते जाते लोगों को ताकते बूढ़े जरूर मिलयेंगे।
Take a peek through the eyes.. In every house, there will be a silent serenity, no sound, no noise of children, just outside a house or in the window, people will definitely find old people looking at them.

आखिर इन सूने होते घरों और खाली होते मुहल्लों के कारण क्या  हैं ?भौतिकवादी युग में हर व्यक्ति चाहता है कि उसके एक बच्चा और ज्यादा से ज्यादा दो बच्चे हों और बेहतर से बेहतर पढ़ें लिखें। 
After all, what are the reasons for these deserted houses and empty mohallas?
In the materialistic age, every person wants to have one child and at most two children and read and write better.

लगता है या दूसरे लोग ऐसा महसूस कराते हैं कि छोटे शहर या कस्बे में पढ़ने से उनके बच्चे का कैरियर खराब होगा या बच्चा बिगड़येगा। बस यहीं से बच्चे निकलते हैं बड़े शहरों के होस्टलों में। भले ही दिल्ली और उस छोटे शहर में उसी क्लास का सिलेबस और किताबें वही हों मगर मानसिक दबाव सा आता है   बड़े शहर में पढ़ने भेजने का।
It seems or others make it feel that their child's career or child will be spoiled by studying in a small town or town. It is only from here that children leave in the hostels of big cities. Even though the syllabus and books of the same class are the same in Delhi and that small city, but there is a mental pressure to send it to the big city.

 हालांकि बाहर भेजने पर भी मुश्किल से 1% बच्चे IIT, PMT या CLAT वगैरह में निकालते हैं...। फिर वही मां बाप बाकी बच्चों का पेमेंट सीट पर इंजीनियरिंग, मेडिकल या फिर बिज़नेस मैनेजमेंट में दाखिला कराते हैं।4 साल बाहर पढ़ते पढ़ते बच्चे बड़े शहरों के माहौल में रच बसते हैं। फिर वहीं नौकरी ढूंढते हैं । सहपाठियों से शादी करते हैं।शादी के लिए हां करना ही है ,इज्जत बचानी है तो, अन्यथा शादी करें इच्छित साथी से।
However, even after sending out, hardly 1% of the children get out in IIT, PMT or CLAT etc…. Then the same parents enroll the rest of the children in engineering, medical or business management on the payment seat. Children studying outside for 4 years settle in the environment of big cities. Then look for a job there. Marry classmates. Yes, you have to say yes to marriage, if you want to save respect, otherwise marry the desired partner.

त्यौहारों पर घर आते हैं माँ बाप के पास सिर्फ रस्म अदायगी हेतु।माँ बाप भी सभी को अपने बच्चों के बारे में गर्व से बताते हैं ।  दो तीन साल तक उनके पैकेज के बारे में बताते हैं। एक साल, दो साल, कुछ साल बीत गये । मां बाप बूढ़े हो रहे हैं । बच्चों ने लोन लेकर बड़े शहरों में फ्लैट ले लिये हैं। अब अपना फ्लैट है तो त्योहारों पर भी जाना बंद।
On festivals, parents come home only to perform rituals. Parents also proudly tell everyone about their children. Lets tell about their package for two to three years. A year, two years, a few years passed. Parents are getting old. Children have taken flats in big cities by taking loans. Now you have your flat, so stop going on festivals too.

अब तो शादी ब्याह में ही आते हैं। शादी ब्याह तो बेंकट हाल में होते हैं तो मुहल्ले में और घर जाने की भी ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती है। होटल में ही रह लेते हैं। हाँ शादी ब्याह में कोई मुहल्ले वाला पूछ भी ले कि भाई अब कम आते जाते हो तो छोटे शहर,  छोटे माहौल और बच्चों की पढ़ाई का उलाहना देकर बोल देते हैं कि अब यहां रखा ही क्या है?
Now they come only for marriage. If marriages take place in the bequet hall, then there is not much need to go to the locality and even home. Stay in the hotel itself. Yes, in marriage, even if a local person asks that brothers come less and less, then by blaming the small town, small environment and children's education, they say that what is kept here now?

 खैर, बेटे बहुओं के साथ फ्लैट में शहर में रहने लगे हैं । फ्लैट में तो इतनी जगह नहीं कि बूढ़े खांसते बीमार माँ बाप को साथ में रखा जाये। बेचारे पड़े रहते हैं अपने बनाये या पैतृक मकानों में। 
Well, the sons have started living in the city in the flat with the daughter-in-law. There is not enough space in the flat to keep the old coughing sick parents with them. Poor people live in their own built or ancestral houses.

कोई बच्चा बागवान पिक्चर की तरह मां बाप को आधा - आधा रखने को भी तैयार नहीं।अब साहब, घर खाली खाली, मकान खाली खाली और धीरे धीरे मुहल्ला खाली है। ऐसे में छोटे शहरों में कुकुरमुत्तों की तरह उग आये "प्रॉपर्टी डीलरों" की गिद्ध जैसी निगाह इन खाली होते मकानों पर है । वो बच्चों को घुमा फिरा कर मकान के रेट समझाने शुरू हैं । गणित समझाते हैं कि कैसे घर बेचकर फ्लैट का लोन खत्म किया है । एक प्लाट भी लिया है। 
No child is even ready to keep the parents half like a gardener's picture. Now sir, the house is empty, the house is empty and slowly the locality is empty. In such a situation, the vulture-like eyes of the "property dealers" who have grown up like mushrooms in small towns are on these vacant houses. They are starting to explain the house rates to the children by turning them around. The maths explain how to sell the house and finish the flat loan. A plot has also been taken.

साथ ही ये बड़े लाला को खाली होते मकानों में मार्केट और गोदामों का सुनहरा भविष्य दिखाते हैं। बाबू जी और अम्मा जी को भी बेटे बहू के साथ बड़े शहर में रहकर आराम से मज़ा लेने के सपने दिखाकर मकान बेचने को तैयार करते हैं। 
At the same time, they show Bade Lala the golden future of markets and warehouses in vacant houses. Babu ji and Amma ji are also prepared to sell the house by showing them dreams of living comfortably in a big city with their son-in-law and daughter-in-law.

स्वयं खुद अपने ऐसे पड़ोसी के मकान पर नज़र रखते हैं । खरीद कर डालते हैं कि कब मार्केट बनाएंगे या गोदाम, जबकि खुद का बेटा छोड़कर पूना की IT कंपनी में काम कर रहा है इसलिए खुद भी इसमें नहीं बस पायेंगे। हर दूसरा घर, हर तीसरा परिवार सभी के बच्चे बाहर निकल गये हैं।
He himself keeps an eye on the house of such a neighbor. They buy and put when they will make a market or warehouse, while leaving their own son and working in the IT company of Poona, so they themselves will not be able to settle in it. Every second home, every third family, everyone's children have moved out.

 वही बड़े शहर में मकान लिया है, बच्चे पढ़ रहे हैं,अब वो वापस नहीं आयेंगे। छोटे शहर में रखा ही क्या है । इंग्लिश मीडियम स्कूल नहीं है, हॉबी क्लासेज नहीं है, IIT/PMT की कोचिंग नहीं है, मॉल नहीं है, माहौल नहीं है, कुछ नहीं है साहब, आखिर इनके बिना जीवन कैसे चलेगा?
He has taken a house in the same big city, children are studying, now they will not come back. What's in a small town? There is no English medium school, no hobby classes, no IIT/PMT coaching, no mall, no atmosphere, nothing sir, how will life go on without them?

भाईसाब ये खाली होते मकान, ये सूने होते मुहल्ले, इन्हें सिर्फ प्रोपेर्टी की नज़र से मत देखिए, बल्कि जीवन की खोती जीवंतता की नज़र से देखिए। आप पड़ोसी विहीन हो रहे हैं। आप वीरान हो रहे हैं।
Brother, these empty houses, these deserted localities, don't just look at them from the point of view of property, but look at them from the point of view of the lost vitality of life. You are becoming neighbours. You are getting deserted.

आज गांव सूने हो चुके हैं ; शहर कराह रहे हैं |सूने घर आज भी राह देखते हैं.. वो बंद दरवाजे बुलाते हैं पर कोई नहीं आता...!!!!!
Today the villages are deserted; The cities are moaning | Even today, the deserted houses look for the way.. They call for closed doors but no one comes...!!!!!

एक बार श्री राम चरित्र को याद करिए की भगवान को शिक्षा के लिए जाना पड़ा और गए भी उसके बाद जब रावण वध कर लिए तो लक्ष्मण जी ने कहा भैया लंका सोने की है क्यों न कुछ दिन यही विश्राम करे तब भगवान ने कहा :-
Once, remember Shri Ram's character that God had to go for education and even after that, when Ravana was killed, Lakshman ji said, brother, Lanka is of gold, why should not it rest for a few days, then God said :-

 अपि स्वर्णमयी लंका न ने लक्ष्मण रोचते
Your golden Lanka did not make Lakshman cry
     जननि जन्मभूमिश्च स्वर्गा दपि गरियसी
Janani Janmabhoomisch Swarga Dpi Gariasi

अर्थात हे लक्ष्मण लंका भले ही सोने की है सर्वत्र सुख सुविधा है लेकिन अपनी माता और मातृभूमि का स्थान स्वर्ग से भी ऊपर है अर्थात यदि माता पिता बालक को बाहर पढ़ने भेजते है तो कोई गलत नहीं है अपितु वही जाकर भूल जाना सर्वथा गलत है।
That means, O Lakshman, even though there is a place to sleep, there is happiness everywhere, but the place of your mother and motherland is above heaven, that is, if the parents send the child outside to study, then there is nothing wrong, but it is completely wrong to forget the same.

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