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जीवन शैली पर सोशल मीडिया का बुरा प्रभाव: सोशल मीडिया नहीं अन-सोशल मीडिया! कचरा ज्ञान के साथ सेहत को भी नुकसान (Bad Impact of Social Media on Lifestyle: Not Social Media Un-Social Media! With the knowledge of garbage, health is also harmed)

जीवन शैली पर सोशल मीडिया का बुरा प्रभाव: सोशल मीडिया नहीं अन-सोशल मीडिया! कचरा ज्ञान के साथ सेहत को भी नुकसान (Bad Impact of Social Media on Lifestyle: Not Social Media Un-Social Media! With the knowledge of garbage, health is also harmed)

जीवन शैली पर सोशल मीडिया का बुरा प्रभाव: सोशल मीडिया नहीं अन-सोशल मीडिया! कचरा ज्ञान के साथ सेहत को भी नुकसान (Bad Impact of Social Media on Lifestyle: Not Social Media Un-Social Media! With the knowledge of garbage, health is also harmed)

आज सोशल मीडिया जीवन का भोजन की तरह अहम हिस्सा बनया है. जैसे मनुष्य का शरीर भोजन खाए बिना नहीं रहता. वैसे मनुष्य का मन सोशल मीडिया के बिना नहीं रह पा रहा है. 
Today social media has become an important part of life like food. Like human body cannot live without eating food. By the way, the human mind is not able to live without social media.

रोजाना 7 घंटे मोबाइल (Mobile 7 hours a day)
द ग्लोबल स्टेटिस्टिक की माने तो भारतीय रोज औसतन 7 घंटे से ज्यादा मोबाइल चलाते हैं, जिसमे ढाई घंटे से ज्यादा समय सिर्फ सोशल मीडिया हैं. सोशल मीडिया का घंटों तक यूज इंसान को अनसोशल है. इससे न केवल हाइपरटेंशन, डायबिटीज जैसी बीमारियां मुफ्त में हैं बल्कि फेक न्यूज की मिलावट से इंसान सच से कोसों दूर है. 
According to The Global Statistics, Indians use mobiles for more than 7 hours a day, of which more than two and a half hours are spent on social media alone. The use of social media for hours is unsocial to a person. Due to this, not only diseases like hypertension, diabetes are free of cost, but due to adulteration of fake news, the person is far away from the truth.

फर्जी खबरें पोस्ट (Fake news post)
मीडिया में फेक न्यूज की मिलावट की बात करें तो अनुमान के मुताबिक फेसबुक पर हर महीने 4 से 5 करोड़ फर्जी खबरें पोस्ट हैं. वहीं ट्विटर पर हर महीने 15 से 20 लाख एकाउंट्स सिर्फ फेक न्यूज़ फैलाने का काम हैं. सोशल मीडिया में फेक न्यूज़ की मिलावट का सबसे ज्यादा असर हम भारतीयों पर है. माइक्रोसॉफ्ट के सर्वे में सोशल मीडिया का उपयोग वाले कुल यूजर्स में से 64% यूजर्स रोज कम से कम 1 फर्जी खबर सोशल मीडिया पर पढ़ते हैं.
Talking about the adulteration of fake news in the media, according to estimates, there are 4 to 5 crore fake news posts on Facebook every month. At the same time, 15 to 20 lakh accounts on Twitter every month are just for spreading fake news. We Indians are most affected by the adulteration of fake news in social media. In Microsoft's survey, 64% of the total users using social media read at least 1 fake news on social media every day.

दुनिया भर के कुल सोशल मीडिया यूजर्स में से 57% यूजर्स फर्जी खबर रोज सोशल मीडिया पर पढ़ते हैं. यानी फर्जी खबरों को रोजाना पढ़ने के मामले भारत का औसत दुनिया से ज्यादा है. 
57% of the total social media users around the world read fake news on social media everyday. That is, the average of India's daily reading of fake news is more than the world.

राजनीति प्रभाव (Political influence)
आज सोशल मीडिया का दखल ऐसा है कि सोशल मीडिया किसी को भी सत्ता पर बैठा भी है और बेदखल करता है. स्टडी की माने तो अमेरिका में 68% वोटरों ने सोशल मीडिया से प्रभावित हो 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में वोट था. वहीं साल फरवरी में आईक्यूब्स द्वारा भारत के 61% मतदाता सोशल मीडिया पर ही पोस्ट्स को पढ़ कर फैसला है कि वोट किसे देना है. यानी फेक न्यूज की मिलावट किसी भी देश की सत्ता को बदलती है. 
Today the interference of social media is such that social media is sitting in power and ousts anyone. According to the study, 68% of the voters in America were influenced by social media to vote in the 2016 presidential election. At the same time, in February, 61% of India's voters read posts on social media by ICubes and decided who to vote for. That is, adulteration of fake news changes the power of any country.

घंटों तक सोशल मीडिया चलाने का असर शरीर पर भी पड़ रहा है. ऑस्ट्रेलियन यूनिवर्सिटी के मुताबिक सिर्फ 20 मिनट ट्विटर का इस्तेमाल व्यक्ति का मूड बदलता है. न्यूयॉर्क की बफैलो यूनिवर्सिटी की रिसर्च के मुताबिक सोशल मीडिया पर रोजाना 6 घंटे तक बिताने से व्यक्ति को डायबिटीज, हाइपरटेंशन और डिप्रेशन होता है. 
The effect of running social media for hours is also affecting the body. According to the Australian University, just 20 minutes of use of Twitter changes a person's mood. According to research from the University of Buffalo in New York, spending 6 hours a day on social media leads to diabetes, hypertension and depression.

अन-सोशल से बचने के लिए टिप्स 
(Tips to avoid being un-social)
सोशल मीडिया की लत और फेक न्यूज से परेशान हैं तो कुछ टिप्स हैं, जिन्हें आप अगर फॉलो करेंगे तो सोशल मीडिया के अन-सोशल फेक न्यूज वाले मिलावटी नशे से बचते हैं.
If you are troubled by the addiction of social media and fake news, then there are some tips, which if you follow, then avoid the adulterated drug addicts of social media with un-social fake news.

दुनिया को सोशल मीडिया खुद देखे. सोशल मीडिया पर चैटिंग के बजाए, मित्र के घर चले जाएं. सोशल मीडिया पर असत्यापित एकाउंट्स से खबर पढ़ने के बजाए, वेरिफिएड न्यूज़ एकाउंट्स से पढ़े.
See the world on social media itself. Instead of chatting on social media, go to a friend's house. Instead of reading news from unverified accounts on social media, read from verified news accounts.

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