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टीडीएस जमा किए बिना ईपीएफ से निकालते पैसा! जानिए नियम (Withdraw money from EPF without depositing TDS! Know the rules)

टीडीएस जमा किए बिना ईपीएफ से निकालते पैसा! जानिए नियम (Withdraw money from EPF without depositing TDS! Know the rules)

टीडीएस जमा किए बिना ईपीएफ से निकालते पैसा! जानिए नियम (Withdraw money from EPF without depositing TDS! Know the rules)

पीएफ खाताधारकों के लिए बड़े काम की खबर है. एंप्लॉई प्रोविडेंट फंड एक रिटायरमेंट स्कीम है, जो भविष्य में फाइनेंशियली मजबूत करती है. इससे बुढ़ापा बिना किसी आर्थिक तनाव के सुकून के साथ है. अगर पीएफ खाते में इन्वेस्टमेंट है, तो 60 साल की उम्र के बाद या जरूरत पड़ने पर उससे पहले भी इससे पैसा निकालते हैं. EPF से पैसे निकालने के लिए टैक्स के कुछ खास नियम हैं. 
There is news of big work for PF account holders. Employee Provident Fund is a retirement scheme, which provides financial strength in future. Due to this old age is relaxed without any financial stress. If there is an investment in the PF account, then after the age of 60 years or even before that if needed, withdraw money from it. There are certain tax rules for withdrawing money from EPF.

जानते हैं पीएफ से पैसे निकालने के नियम. 
(Know the rules for withdrawing money from PF)
1 अप्रैल से टैक्स के लिए नया नियम लागू है. अब नियमों के अनुसार 2.5 लाख रुपये से ज्यादा पीएफ डिपॉजिट करने पर मिलने वाले इंट्रस्ट पर टैक्स लगेगा. बता दें कि करंट फाइनेंशियिल ईयर में फंड पर 8.5% का इंट्रस्ट रेट है. इसे EEE यानी की एग्जेम्प्ट, एग्जेम्प्ट, एग्जेम्प्ट कैटेगरी में शामिल किया है. पीएफ पर सेक्शन 80C के तहत डिडक्शन का फायदा भी है. आइए जानते हैं टैक्स को लेकर नया नियम.
The new rule for tax is applicable from 1st April. Now according to the rules, the interest received on depositing PF more than Rs 2.5 lakh will be taxed. Explain that the fund has an interest rate of 8.5% in the current financial year. It has been included in EEE i.e. Exempt, Exempt, Exempt category. There is also the benefit of deduction on PF under section 80C. Let's know the new rule regarding tax.


जानिए नए PF नियमों के बातें-
 (Know about the new PF rules-)
-  मौजूदा पीएफ अकाउंट्स को टैक्सेबल और नॉन-टैक्सेबल कॉन्ट्रिब्यूशन अकाउंट्स में बंटगे. 
Divide the existing PF accounts into taxable and non-taxable contribution accounts.

- नॉन-टैक्सेबल अकाउंट्स में उनका क्लोजिंग अकाउंट भी होगा क्योंकि तारीख 31 मार्च, 2021 होती है.
Non-taxable accounts will also have their closing account as the date is March 31, 2021.

- नए पीएफ नियम अगले वित्तीय वर्ष यानी 1 अप्रैल, 2022 से लागू होते हैं.
The new PF rules are applicable from the next financial year i.e. April 1, 2022.

- सालाना ₹ 2.5 लाख से ज्यादा के एंप्लाई कॉन्ट्रिब्यूशन से पीएफ इनकम पर नया टैक्स लागू के लिए आईटी नियमों के तहत एक नई धारा 9डी शामिल है.
A new section 9D is included under the IT rules to apply new tax on PF income from employee contribution of more than ₹ 2.5 lakh annually.

- टैक्सेबल ब्याज गणना के लिए मौजूदा पीएफ अकाउंट में दो अलग अकाउंट बनाएंगे.
For calculation of taxable interest, two separate accounts will be created in the existing PF account.

जानिए टैक्स के नियम (Know tax rules)
फाइनेंस एक्ट 2021 के नए प्रावधान के अनुसार, अगर कर्मचारी अपने प्रोविडेंट फंड में एक वित्त वर्ष में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा कंट्रीब्यूशन है तो 2.5 लाख रुपये के ऊपर जमा के ब्याज पर टैक्स देगा. अगर किसी कर्मचारी का 3 लाख रुपये तक का निवेश है तो उसे अतिरिक्त 50000 रुपये पर मिले ब्याज पर टैक्स देगा. केंद्रीय कर्मचारियों के लिए यह लिमिट 5 लाख रुपये ही होगी.
According to the new provision of the Finance Act 2021, if the employee has more than Rs 2.5 lakh contribution in a financial year in his provident fund, then the interest on deposits above Rs 2.5 lakh will be taxed. If an employee has an investment of up to Rs 3 lakh, then he will pay tax on the interest earned on additional Rs 50000. For central employees, this limit will be Rs 5 lakh only.

जानिए क्या है रूल 9D (Know what is Rule 9D)
नए नियमों के मुताबिक, CBDT ने इसके लिए रूल 9D को नोटिफाई किया गया है जिसमें प्रोविडेंट फंड कंट्रीब्यूशन पर मिले ब्याज पर टैक्स की कैलकुलेशन कि जाएगी. अब प्रोविडेंट फंड में दो तरह अकाउंट होंगे. पहला- टैक्सेबल अकाउंट और दूसरा- नॉन-टैक्सेबल अकाउंट. 9D नियम में दो अकाउंट को मैनेज कर के बारे में है. अब समझते हैं इन दो अकाउंट के बारे में.
According to the new rules, CBDT has notified Rule 9D for this, in which tax will be calculated on the interest earned on Provident Fund Contribution. Now there will be two types of accounts in the Provident Fund. First- taxable account and second- non-taxable account. The 9D rule is about managing two accounts. Now let's understand about these two accounts.

टैक्सेबल अकाउंट (Taxable account)
नए नियम के अनुसार, वर्तमान वित्तीय वर्ष में EPF अकाउंट में 2.50 लाख रुपये से ज्यादा रकम जमा है तो अतिरिक्त राशि पर  ब्याज टैक्स के दायरे में आएगा. इस कैलुकेलेशन के लिए बाकी पैसा टैक्सेबल अकाउंट में जमा होगा. लेकिन, मिल वाले ब्याज पर टैक्स कटेगा.
According to the new rule, if more than Rs 2.50 lakh is deposited in the EPF account in the current financial year, then the interest earned on the additional amount will come under the purview of tax. The rest of the money for this calculation will be deposited in the taxable account. But, tax will be deducted on the interest earned.

नॉन टैक्सेबल (Non-Taxable)
इसमें नए नियम के तहत अगर किसी के EPF अकाउंट में 5 लाख रुपये हैं तो 31 मार्च 2022 तक जमा रकम बिना टैक्स वाले खाते में जमा होगी. यानी इस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा.
In this, under the new rule, if someone has Rs 5 lakh in his EPF account, then the amount deposited till March 31, 2022 will be deposited in the account without tax. That is, there will be no tax on it.

टैक्सपेयर्स को फर्क (Difference to taxpayers)
नए नियम के लागू के बाद, 2.5 लाख रुपये की लिमिट का फायदा ज्यादातर पीएफ सब्सक्राइबर्स  होगा. लेकिन छोटे और मध्यम वर्ग के टैक्सपेयर्स को नए नियम से फर्क नहीं पड़ेगा. यह मुख्य रूप से हाई इनकम वाले कर्मचारियों को प्रभावित करेगा. यानी  सैलरी कम है या एवरेज है तो इस नए नियम से फर्क नहीं पड़ेगा. 
After the implementation of this new rule, the benefit of the limit of Rs 2.5 lakh will be mostly for PF subscribers. But small and middle class taxpayers will not be affected by the new rule. This will primarily affect high-income employees. That is, if your salary is low or average, then you will not be affected by this new rule.

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