सेकेंड हैंड बाइक

सेकेंड हैंड बाइक

 

लोग पुरानी मोटरसाइकिल खरीदते वक्त सिर्फ लुक और कितनी चली है इस बात पर ध्यान देते हैं. बाइक की सही से जांच-पड़ताल नहीं करना कई बार आपको परेशानी में डाल सकता है. कई बार सस्ते के चक्कर में आपकी सेकेंड हैंड बाइक चोरी भी हो सकती है. जिससे आपको पुलिस के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं. 

 कुछ खास टिप्स.

रिसर्च - अगर आप पुरानी बाइक खरीदने का प्लान कर रहे हैं तो पहले आपको बाइक के बारे में अच्छी तरह रिसर्च कर लेना चाहिए. आप बाइक का मॉडल चेक कर लें कि यह चालू है या बंद है. बाइक का मॉडल बंद होने के बाद उसके रिपेयर में काफी परेशानी होती है. इस बात को भी जान लें कि कहीं बाइक मॉडिफाई तो नहीं है क्योंकि मॉडिफाई कराने पर कंपनी बाइक की वारंटी खत्म कर देती है.

 स्टार्ट करके देख लें- पुरानी बाइक खरीदते वक्त बाइक को किक मारकर स्टार्ट करके देख लें. इससे पता चलता है कि बाइक का इंजन कैसा है. अगर बाइक दो-तीन किक से ज्यादा में भी स्टार्ट नहीं होती तो समझो इंजन में या किक में समस्या है. हालांकि सर्दी में नई बाइक भी कई बार तीन-चार बार किक करने पर भी स्टार्ट नहीं होती.

चेसिस और इंजन नंबर - पुरानी बाइक खरीदते वक्त इंजन नंबर और चेसिस नंबर रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट से मिला लें. बाइक के नंबर प्लेट का भी ड्राइविंग लाइसेंस से मिलान जरूर कर लें. इंश्योरेंस कंपनी से जान लें कि बाइक एक्सीडेंटल तो नहीं है. आप आरटीओ से बाइक की डिटेल्स निकलवा कर चेक कर लें.

 एक्सीडेंटल बाइक - पुरानी बाइक खरीदने से पहले अच्छी तरह से चेक कर लें कि डिजाइन में कहीं कोई डेंट तो नहीं है. बाइक में कहीं कोई एक्सीडेंट के निशान तो नहीं हैं. इस बात का भी ख्याल रखें कि कहीं बाइक टेढ़ी या पिचकी तो नहीं है. बाइक के सॉकर, रिम और हैंडल अच्छी तरह से चेक कर लें.

मेंटेनेंस और पैसों का मोलभाव - पुरानी बाइक खरीदते वक्त मालिक से मेंटेनेंस रिकॉर्ड जरूर मांग लें. इसमें बाइक की सर्विसिंग का रिकॉर्ड भी चेक कर लें. बाइक टेस्ट राइड जरूर कर लें. इससे गियर, क्लच एक्सेलरेटर, सस्पेंशन, इंडिकेटर, हेडलाइट, टेललाइट और हैंडल का पता चल जाएगा. अब आप बाइक की कंडीशन के हिसाब से अच्छी तरह पैसों की बात कर लें. कीमत तय करने के बाद मालिक से कागजों पर साइन करवाना न भूलें.


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